Buddhist Councils In Hindi : First Second Third | बौध संगीतियाँ :- दोस्तों , आज हम Notes In Hindi Series में आपके लिए लेकर आये हैं वैदिक सभ्यता से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान ! Buddhist Councils In Hindi First Second Third से सम्बन्धित बहुत से Questions Competitive Exams में पूछे जाते हैं , यह एक बहुत ही विशेष Part आता है हमारे Gs का | तो आज हम पढेंगे बौद्ध धर्म संगीतियाँ ,Buddhist Councils History In Hindi,Buddhist Councils 1,2,3 in hindi,Baudh Sanditiyan in Hindi के बारे में !
बौद्ध संगतियाँ (Buddhist Councils)
प्रथम संगीति ( First Council)-
- प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन 487 ई०पू० में सप्तपर्णि गुफा (राजगृह) में हुआ।
- इस संगीति को मगध के सम्राट अजातशत्रु का संरक्षण प्राप्त हुआ।
- प्रथम बौद्ध संगीति की अध्यक्षता महाकस्सप ने की।
- इस संगीति में बुद्ध की शिक्षाओं को ग्रन्थ का स्वरूप प्रदान करने हुए इन्हें विनय पिटक एवं अभिधम्मपिटक के रूप में संकलित किया गया।
- बुद्ध के प्रिय शिष्यों उपालि एवं आनन्द में क्रमश: विनयपिटक एवं ‘धम्मपिटक’का संपादन किया ।
द्वितीय संगीति (Second Council)-
- द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन 387 ई०पू० में वैशाली में हुआ।
- इस बौद्ध संगीति की अध्यक्षता सबाकमी ने किया।
- इस संगीति को ‘मगध’ के शिशुनाग वंशीय शासक कालाशेक का संरक्षण मिला।
- द्वितीय बौद्ध संगीति का अयोजन बुद्ध की मृत्यु के 100 वर्षों के पश्चात् हुआ।
तृतीय बौद्ध संगीति (Third Council)-
- तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन 251 ई०पू० में पाटलिपुत्र में हुआ।
- तृतीय बौद्ध संगीति की अध्यक्षता मोगालिपुत्त तिस्सा ने किया।
- तृतीय बौद्ध संगीति को मौर्य सम्राट अशोक ने संरक्षण प्रदान किया।
- तृतीय बौद्धसंगीति में एक नवीन बौद्ध ग्रन्थ ‘अभिधम्म पिटक’का संकलन किया गया।
चतुर्थ बौद्ध संगीति (Fourth Council)-
- चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयेाजन प्रथम शताब्दी ई० में कुण्डलवन (कश्मीर) में हुआ।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र एवं उपाध्यक्ष अश्वघोष थे।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति को कुषाण सम्राट कनिष्क का संरक्षण प्राप्त कि हुआ।
- इस संगीति में बौद्ध ग्रन्थ ‘त्रिपिटक’ पर महाभाष्यों की रचना हुई।
- बौद्ध धर्म सर्वप्रथम स्थाविर (थेरवादी ) एवं महासंघिक में विभाजित हुआ।
- चतुर्थ बौद्ध संगीति में बौद्ध संप्रदाय स्पष्ट रूप से दो संप्रदापयों हीनयान (Lesser vehicle) एवं महायान (Greater vehicle) में विभाजित हो गया।
- परिवर्तन विरोधी संप्रदाय, जो बुद्ध को ईश्वर के रूप में मानकर उनकी मूर्तिपूजा करने का विरोधी था, ‘हीनयान’ कहलाया।
- परिवर्तन समर्थक, धार्मिक नियमों की कठोरता को कम किये जाने तथा ‘बुद्ध’ को ईश्वर के रूप में मानकर उनकी मूर्ति पूजा करने का हिमायती संप्रदाय ‘ महायान’ कहलाया।
- चीन, तिब्बत, कोरिया, मंगोलिया तथा जापान में वर्तमान में महायान संप्रदाय के अनुयायी फैले हुए हैं।
- श्रीलंका, जावा एवं म्यांमारमें ‘हीनयान’ संप्रदाय के लोग फैले हुए हैं।
- कालान्तर में हीनयान संप्रदाय भी वैभाषिक एवं सौत्रान्तिक में बँट गया।
- ‘महायान’ संप्रदाय भी बाद में बँट गया तथा इसके दो धड़े शून्यवाद (माध्यमिक) एवं विज्ञानवाद (योगचार) में विभक्त हो गये।
- ‘शून्यवाद’ में विभक्त हो गये।
- विज्ञानवाद के प्रवर्तक मैतन्य था।
- 7वीं शताब्दी में तंत्र-मंत्र से युक्त बौद्ध संप्रदाय वज्रयान का उदय हुआ।
- 7वीं शताब्दी में बिहार के भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय ‘वज्रयान संप्रदाय’ का प्रमुख केंद्र था।
- बुद्ध को पूजने की परंपरा महायान शाखा ने आरंभ की।
- महायान शाखा ने ही बुद्ध की प्रथम मूर्ति का निर्माण कराया।
- महायान बौद्ध धर्म के अनुयायी सम्राटों में कनिष्क एवं हर्षवर्द्धन प्रमुख थे।
- बोध गया स्थित ‘बोधिवृक्ष’ को बंगाल के शैव शासक शशांक ने कटवा दिया था।
- बुद्ध ने 40 वर्षों तक उपदेश दिए, जिसमें सर्वाधिक कोशल की राजधानी श्रावस्ती को प्राप्त हुए।
- बुद्ध ने शाक्य मुनि के रूप में अपना अंतिम जन्म लिया।
- अन्य अनाम तथा मैत्रेय बुद्ध का अवतरित होना अभी बाकी।
- बुद्धकी अधिकांश मूर्तियाँ गन्धार शैली में निर्मित हैं: परन्तु प्रथम मूर्ति संभवत: मथुरा कला में निर्मित है।
- बुद्ध ने अपने अंतिम दिनोंमें अपने प्रिय शिष्य आनंद से अपने उत्तराधिकारी के प्रश्न पर कहा मेरे विचार ही तुम्हारा मार्गदर्शन करेंगे।
- तिब्बत, भूटान एवं पड़ोसी देशों में ‘वज्रयान शाखा’ का प्रचार पद्मसंभव ने किया।
- ‘वज्रयान बुद्ध’ की 123 फीट ऊँची मूर्ति रेवालसर झील (हिमाचल प्रदेश) में स्थित है।
दोस्तों आशा है यह Article Buddhist Councils In Hindi : First Second Third | बौध संगीतियाँ आपकी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी में काफी मदद करेगा , ऐसे ही Articles पढ़ने के लिए जुड़े रहे : SSC Hindi के साथ !!