मगध साम्राज्य का इतिहास : Magadh Samrajya History In Hindi

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Magadh Samrajya/Empire In Hindi 

  • 16 महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली था।
  • मगध साम्राज्‍य का शासन काल ई० पू० 600 से ई० पू० 323 माना जाता है।
  • मगध को वैदिक साहित्‍य में अपवित्र स्‍थान माना गया है यहाँ के निवासियों को लोग व्रात्‍य (पतित) कहा करते थे।
  • मगध पर शासन करने वाले राजवंशों में वार्हद्रथ, हर्यंक, शिशुनाग एवं नन्‍द आदि प्रमुख थे।
  • ई० पू० शताब्‍दी के पूर्व मगध में (वार्हद्रथ वंश) का शासन था।
  • ‘वार्हद्रथ वंश’ का संस्‍थापक बृहद्रथ थ, उसकी राजधानी राजगृह या गिरिव्रज थी।
  • जरांसध बृहद्रथ का पुत्र था, वह इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था।
  • मगधा की गद्दी पर हर्यंक वंश का संस्‍थापक बिम्बिसार 545 ई० पू० में बैठा था।
  • विम्बिसार का सैन्‍यबल नियमित (standing)  था और इसी कारण वह सौणिय (श्रोणिक : महती रखने सेना वाला) नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • बौद्ध ग्रन्‍थ महावंश के अनुसार बिम्बिसार ने 52 वर्षों तक शासन किया था।
  • बिम्बिसार साम्राज्‍य विस्‍तार के उद्देश्‍य से कोशल नरेश प्रसेनजीत की बहन से, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्‍लना से तथा  पंजाब की राजकुमारी क्षेमामद्र से शादी की।
  • बिम्बिसार ने साम्राज्‍य-विस्‍तार करने के उद्देश्‍य से अंग-शासक ब्रम्‍हादत्‍त को हराकर उसका राज्‍य मगध में मिला लिया।
  • बिम्बिसार के विशाल साम्राज्‍य की राजधानी गिरिव्रज थी एवं राजगृह को नयी राजधानी बनाया।
  • बिम्बिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
  • बिम्बिसार ने महात्‍मा बुद्ध की सेवा में राजवैद्य जीवक को भेजा।
  • बौद्ध साहित्‍य के अनुसार 493 ई० पू० में बिम्बिसार की हत्‍या उसके पुत्र अजातशत्रु  ने की।
  • अजातशत्रु 493 ई० पू० में मगध की गद्दी पर बैठा उसे कुणिक भी कहते थे।
  • अपने पिता बिम्बिसार के राज्‍यकाल में में अजातशत्रू अंग की राजधानी चम्‍पा में प्रांतपति रहा था तथा वहीं उसने शासन की व्‍यवस्‍था सीखी।
  • कोशल नरेश प्रसेनजीत ने अजातशत्रु को पराजित कर बन्‍दी बना लिया तथा सन्धि करके अपनी पुत्री वजिरा का विवाह उससे करा दिया।
  • अजातशत्रु ने उत्‍तर में वैशाली के शक्तिशाली वज्जि संघ से युद्ध किया।
  • वस्‍सकार (वर्षकार) अजातशत्रु का सुयोग्‍य मंन्‍त्री था।
  • अजातशुत्र ने वैशाली के विरूद्ध युद्धमें दो नरवीन यद्धास्‍त्रों रथमूसल एवं महाशिलाकण्‍टक का प्रयोग किया था।
  • लिच्‍छवियों के पश्चिम में स्थित मल्‍ल संघ को भी अजातशत्रु ने अपने साम्राज्‍य में मिला लिया।
  • बौद्ध साहित्‍य में इस तथ्‍य की पुष्टि भी होती है कि बिम्बिसार की हत्‍या करने के उपरान्‍त अजातशत्रु ने अपने अपराध की स्‍वीकारोक्ति महात्‍मा बुद्ध के समक्ष की।
  • प्रारम्‍भ में अजातशत्रु जैन धर्म अनुयायी था, परन्‍तु बाद में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
  • बौद्ध साहित्‍य में इसव तथ्‍य की पुष्टि भी होती है कि बिम्बिसार की हत्‍या करने के उपरान्‍त अजातशत्रु ने अपने अपराध को स्‍वीकारोक्ति महात्‍मा बुद्ध के समक्ष की ।
  • अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक मगध पर शासन किया।
  • अजातशत्रु की हत्‍या उसके पुत्र उदयन ने 462 ई० पू० में कर दी और वह मगध की गद्दी पर बैठा।
  • उदयन ने पाट‍लीपुत्र की स्थापना की।
  • उदयन ने पाटलीपुत्र की स्‍थापना की।
  • उदयन जैन धर्मावलम्‍बी था, उसने लगभग 16 वर्ष तक राज्‍य किया।
  • उदयन के शासन काल में पहली बार पाटलीपुत्र मगध की राजधानी बनी।
  • हर्यंक वंश का अन्तिम राजा उदयन का पुत्र नागदशक था।
  • 412 ई० पू० में नागदशक को उसके अमात्‍य शिशुनाग ने अपदस्‍थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्‍थापना की।
  • शिशु नाग ने पाटलिपुत्र के स्‍थान पर वैशाली को अपना राजधानी बनाया।
  • शिशुनाग ने अवन्ति पर विजय प्राप्‍त कर, उसे मगध साम्राज्‍य में विलय कर दिया।
  • 396 ई० पू० शिशुनाग की मृत्‍यु हो गयी।
  • शिशुनाग के पश्‍चात् उसाक पुत्र कालाशेक अथवा काकवर्ण मगध का शासक बना।
  • कालाशोक ने पुन: पाटलिपुत्र को मगध साम्राज्‍य की राजधानी बनाया।
  • कालाशोक ने अपने राज्‍य की उत्‍तरी सीमा कश्‍मीर तक पहुँचा दी तथा कलिंग को भी मगध साम्राज्‍य में मिला लिया।
  • 368 ई० पू० कालाशोक की नगर के बाहर हत्‍या कर दी गयी।
  • शिशुनाग वंश का अन्तिम शासक नन्दिवर्धन था।
  • पुराणों के अनुसार नन्‍द वंश का संस्‍थापक महापद्म नन्‍द था।
  • यूनानी इतिहासकार कार्टेयस ने महापद्म को शूद्र बताया है।
  • पश्चिम में ‘कुरू और पांचाल’ पर महापद्म नन्‍द ने अधिकार कर लिया था।
  • खारवेल के हाथीगुम्‍फा अभिलेख से पता चलता है कि नन्‍द-राजा का कलिंग पर भी अधिकार था।
  • नन्‍द राजा ने वैशाली के समीप स्थित मिथिला राज्‍य किया, इस वंश का अन्तिम शासक धनानन्‍द था।
  • सिकन्‍दर का भारत पर आक्रमण धनानन्‍द के शासन काल में ही हुआ।
  • 322 ई० पू० में मौर्यवंशीय चन्‍द्रगुप्‍त ने गुरू चाणक्‍य (कौटिल्‍य) की सहायता से धनानन्‍द को परास्‍त कर मगध में मौर्य साम्राज्‍य की स्‍थापना की। 

विदेशी आक्रमण (Foreign Invasions)

  • भारत पर पहला विदेशी आक्रमण 550 ई० पू० में ईरान के साइरस प्रथम ने किया।
  • भारत पर दूसरा ईरानी आक्रमण डैरियस प्रथम (हखामनी वंश) द्वारा 518 ई० पू० के आस-पास किया गया।
  • डैरियस ने पंजाब तथा गान्‍धार पर विजय प्राप्‍त करकेउन्‍हें अपने साम्राज्‍य का अंग बनाया।
  • ई0 पू० 326 में यूनान के सिकन्‍दर ने भारत पर हिन्‍दुकुश के रास्‍ते आक्रमण किया।
  • सिकन्‍दरमकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र था।
  • सिकन्‍दर ई० पू० 336 में राजसिंहासन पर बैठा, वह अरस्‍तु का शिष्‍य था।
  • सिकन्‍दर के सेनापति का नाम सेल्‍यूकस निकोटर था, नियार्कस सिकन्‍दर का जल-सेनापति था।
  • सिकन्‍दर को पुरू राज्‍य से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
  • झेलम और चिनाब नदी के मध्‍य के प्रदेश पर पोरस का राज्‍य था।
  • सिकन्‍दर को पोरस के साथ युद्ध करना पड़ा, जिसे हाइडेस्‍पीज के युद्ध के नाम से जाना जाता है।
  • सिकन्‍दर ने पुरू के राजा पोरस को हरा दिया परन्‍तु उससे प्रभावित होकर विजित प्रदेश लौटा दिया।
  • सिकन्‍दर ने पोरस के विरूद्ध विजय प्राप्‍त करने के उपलक्ष्‍य में निकाइया (NIkaia)  की स्‍थापना की।
  • सिकन्‍दर ने स्‍वामी भक्‍त घोड़े के नाम पर बुकाफेला(Bokkephala) नामक नगर का निर्माण करवाया।
  • सिकन्‍दर ने मिस्‍त्रपर विजय के उपलक्ष्‍य में सिकन्‍दरिया नामक नगर की स्‍थापना की थी।
  • व्‍यास नदी के तट पर पहुँच कर सिकन्‍दर ने जब अपने भारत-विजय के स्‍वप्‍न को साकारकरनेके लिए आगे बढ़ने का प्रयास किया।
  • सिकंदर की सेना ने मगध की हस्तिसेना से डरकर आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।
  • सिकन्‍दर की मृत्‍यु 323 ई० पू० में बेबीलोन में हो गयी, वह भारत में 19 महीनों तक रहा।
  • भारतीय  कला की गंधार शैली पर यूनानी प्रभाव है।

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