Buddha Dharma Gautam Buddha History GK In Hindi : बौद्ध धर्म सामान्य ज्ञान

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Buddha Dharma History GK In Hindi

बौद्ध धर्म (Buddhism)

  • बौद्ध धर्म का प्रवर्तक गौतम बुद्ध का जन्‍म 563 ई० पू० में लुम्बिनी (कपिलवस्‍तु, नेपाल) में हुआ।
  • गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोद्धन तथा माता का नाम मायादेवी था।
  • गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोद्धन शाक्‍य क्षत्रिय कुल के प्रमुख थे।
  • गौतम बुद्धके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
  • सिद्धार्थ की माता मायादेवी का निधन बचपन में ही हेा गया था।
  • सिद्धार्थ का लालन-पालन विमाता प्रजापति गौतमी ने किया।
  • 16 वर्ष की आयु में यशोधरा नामक राजकुमारी से सिद्धार्थ का विवाह हुआ।
  • यशोधरा से सिद्धार्थ को एक पुत्र राहुल की प्राप्ति हुई।
  • कपिलवस्‍तु की सैर के दौरान सिद्धार्थ ने चार दृश्‍य देखे- 1 बूढ़ा व्‍यक्ति, एक रोगग्रस्‍त व्‍यक्ति, 3. एक मृत व्‍यक्ति तथा 4. एक प्रसन्‍नचित संन्‍यासी।
  • सांसारिक दुखों से आहत होकर 29 वर्ष की आयु में गौतम ने गृह त्‍याग किया।
  • गृहत्‍याग के पश्‍चात् गौतम ने सर्वप्रथम वैशाली में अलारकलाम से सांख्‍य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की।
  • इस प्रकार ‘अलारकलाम’ गौतम के प्रथम गुरू थे।
  • इसके बाद गौतम ने राजगृह के रामपुत्‍त से शिक्षा ग्रहण की।
  • तत्‍पश्‍चात् गौतम उरूवेला (गया) पहुंचे, जहाँ उन्‍हें कौण्डिन्‍य, वप्‍पा, भादिया, महानामा एवं अस्‍सागी नामक पाँच साधक मिले।
  • तत्‍पश्‍चात् गौतम ‘गया’ के निकट निरंजना  (फल्‍गू) नदी के किनारे कठिन तप के लिए वट-वृक्ष के नीचे ध्‍यान लगाकर बैठ गये।
  • निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे अपने जीवन के 35वें वर्ष मेु गौतम को वैशाखी पूर्णिमा की रात्रि को ‘सच्‍चा ज्ञान’ प्राप्‍त‍ि हुआ।
  • बौद्ध परम्‍पराओं में उपरोक्‍त घटना को सम्‍बोधि कहा जाता है।
  • ‘सम्‍बोधि’के पश्‍चात् गौतम को बुद्ध तथा तथागत आदि नामों से पुकारा जाने लगा।
  • बुद्ध को ‘सम्‍बोधि’ प्राप्ति का स्‍थान कालान्‍तर में बोध गया (Bodh Gaya) के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

 बुद्ध के जीवन की विभिन्‍न अवस्‍थाओं के प्रतीक

(1) हाथी- बुद्ध के गर्भावस्‍था में आने का प्रतीक।

(2) साँढ़- बुद्ध के यौवन का प्रतीक।

(3) घोड़ा- बुद्ध के ग्रहत्‍याग का प्रतीक।

(4) शेर- बुद्ध के ज्ञानसे समृद्ध होने का प्रतीक।

 

  • जिस पीपल वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ उसे कालान्‍तर में बोधि-वृ्क्ष के नाम से जाना गया, बोध गया में बुद्ध ने तपस्‍सु एवं मल्लिक नामक दो शिष्‍य बनाए।
  • बोध गया से महात्‍मा ऋषिपत्‍तन (वाराणसी के नजदीक सानाथ) पहूँचे।
  • ‘ऋषिपत्‍तन (सारनाथ)’में उन्‍होंने पाँच तपस्वियों को अपना पहला उपदेश दिया।
  • बौद्ध परम्‍पराओं में बुद्ध के प्रथम उपदेश देने की घटना को धर्मचक्रप्रवर्तन् कहा गया है।
  • महात्‍मा बुद्ध के अनुयायी शासकों में बिम्बिसार, आजातशुत्र (मगध साम्राज्‍य), प्रसेनजीत (कोशल), अशोक (मौर्य वंश), कनिष्‍क (कुषाण वंश) इत्‍यादि प्रमुख थे।
  • बौद्ध धर्म में दीक्षित होने वाली प्रथम महिला गौतम बुद्ध की विमाता प्रजापति गौतमी थी।
  • 80 वर्ष की आयु में 483 ई०पू० में मल्‍ल राज्‍य की राजधानी कुशीनगर (देवरिया जिला) में महात्‍मा बुद्ध का निधन हो गया।
  • बौद्ध परम्‍पराओं में महात्‍मा बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण (Buddha leaving the world) कहा गया है।
  • बौद्ध धर्म अनीश्‍वरवादी है तथा इसके अनुसार आत्‍मा (soul) का कोई अस्तित्‍व नहीं है।
  • बौद्ध धर्म के त्रिरत्‍न हैं, बुद्ध, धम्‍म एवं  संघ।
  • गौतम बुद्धने संघ जैसवी व्‍यवस्‍था को संस्‍थागत स्‍वरूप प्रदान किया।

आधुनिक युग में लाखों बौद्ध निम्‍न वाक्‍य कहकर त्रिरत्‍न में अपनी आस्‍था व्‍यक्‍त करते हैं- (बुद्धं शरणं गच्‍छामि, धम्‍मं शरणं गच्‍छामि, संघ शरणं गच्‍छामि………………

·       Important Fact

बुद्ध की बढ़ती लोकप्रियता से विक्षुब्‍ध होकर देवदत्‍त नामक व्‍यक्ति ने तीन बार उनकी हत्‍या करने का असफल प्रयास किया।

 

  • बौद्ध संघ में प्रवेश की प्रक्रिया उपसंपदा कहलाती है।
  • बौद्ध संघ में प्रवेश की न्‍यूनतम उम्र-सीमा 15 वर्ष थी।
  • अपने प्रिय शिष्‍य आनन्‍द के आग्रह पर बुद्ध ने महिलाओं को भी संघ की सदस्‍य बनने वाली पहली महिला थी।
  • संघ में शामिल होने वाले बौद्ध धर्मावलम्‍बी भिक्षुक कहलाते थे।
  • गृहस्‍थ जीवन बिताने वाले बौद्ध धर्मावलम्‍बी उपासक कहलाते थे।
  • बौद्ध धर्म के विषय विशद् ज्ञान पालि भाषा में रचित बौद्ध ग्रद्धथ त्रिपिटक (Tripitak) से होता है।

Bodh Dharm Ki Shiksha In Hindi

बौद्ध धर्म का मूल आधार इसके चार आर्य सत्‍य हैं-

  1. सर्वम् दु:खम्- इसके अनुसार संसार दु:खमय है। यह तथ्‍य उपनिषद् से लिया गया है।
  2. दु:ख समुद्दय- तृष्‍णा (Desire) दुखों का कारण है।
  3. दु:ख निरोध- दुख का निवारण तृष्‍णा को त्‍याग कर किया जा सकता है।
  4. दु:ख निरोध गामिनी प्रतिपदा- दुख का निरोध आष्‍टांगिक मार्ग का अनुसरण करने से सम्‍भव है।
अष्‍टांगिक मार्ग (Astangik Marg)

1.   सम्‍यक् दृष्टि- बौद्ध धर्म के चार आर्य-सत्‍योंके ज्ञान से वाकिफ होना।

2.    सम्‍यक् संकल्‍प- तृष्‍णा तथा हिन्‍सा–रहित संकल्‍प करना।

3.    सम्‍यक् वाणी – सदा सत्‍य एवं मृदु वाणी का प्रयोग करना जो कि धर्मसम्‍मत हो।

4.    सम्‍यक् कर्म- सम्‍यक अथवा अच्‍छे कर्मों में संलग्‍न रहना।

5.    सम्‍यक् आजीव- विशुद्ध रूप से सदाचार का पालन करते हुए जीवन व्‍यतीत करना।

6.    सम्‍यक् व्‍यायाम- विवेकपूर्ण प्रयत्‍न करना।

7.   सम्‍यक् स्‍मृति – अपने कर्मों के प्रति विवेक तथा सावधानी को निरन्‍तर स्‍मरण रखना।

8.    सम्‍यक् समाधि- चित्‍त की समुचित एकाग्रता।

 

  • बुद्ध ने अष्‍टांगिक मार्ग के अन्‍तर्गत मध्‍यम मार्ग अपनाने की वकालत की, इसे बौद्ध परम्‍पराओं में मध्‍यता प्रतिपदा कहा गया।
  • बुद्ध ने निर्वाण के लिए 10 शीलों का प्रतिपादन किया, उनके अनुसार इसका अनुशीलन ही नैतिक जीवन का आधार है-
  1. सत्‍य,
  2. अहिन्‍सा,
  3. अस्‍तेय (चोरी न करना),
  4. व्‍यभिचार न करना,
  5. मद्य सेवन न करना,
  6. असमय भोजन न करना,
  7. सुखप्रद बिस्‍तर पर न सोना,
  8. धन-संचय न करना,
  9. अपरिग्रह (सांसारिक बंधनोंका मोह न करना),
  10. स्‍त्री मोह का त्‍याग करना।

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